Book Title: Aao Prakrit Sikhe Part 01
Author(s): Vijaykastursuri, Vijayratnasensuri
Publisher: Divya Sandesh Prakashan
View full book text
________________
सम्मं अ. (सम्यक्) अच्छी तरह सव्वथ-सव्वहि-सव्वह अ. (सर्वत्र) सम्मत्त नपुं. (सम्यक्त्व) समकित सम्पूर्ण, सब, सभी जगह तत्त्वश्रद्धा, सम्यग्दर्शन
सवण्णु पुं. (सर्वज्ञ) सर्वज्ञ भगवान, सयं-सइ अ. (स्वयम्) आप, निज, सब जाननेवाले खुद
सव्वविरइ स्त्री. (सर्वविरति) पाँच सयण पुं. (स्वजन) कुटुम्बीजन, सगे- महाव्रतों का पालन, सभी पाप व्यापार संबंधी
का त्याग सययं अ. (सततम्) निरन्तर, लगातार सव्वया अ. (सर्वदा) सदा, हमेशा, सयल वि. (सकल) पूर्ण, सर्व सदैव सयसहस्स पुं. नपुं. (शतसहस्त्र) लाख सव्वहा अ. (सर्वथा) सभी तरह, सभी सयायार पुं. (सदाचार) उत्तम आचार प्रकार का । सर पुं. (शर) बाण
सव्वायर (सर्वादर) सभी प्रकार के सर पुं. नपुं. (सरस्) सरोवर आदरपूर्वक सरअ पुं. (शरद्) शरद ऋतु ससंक पुं. (शशाङ्क) चन्द्र सरण नपुं. (शरण) शरण, आश्रय, ससा-सुसा स्त्री. (स्वसृ) बहन, भगिनी रक्षा
ससिरवि (शशिरवि) चन्द्र और सूर्य सरणत्तं नपुं. (शरणत्व) शरणपना सह अ. (सह) साथ, संग, सहित सरस्सई स्त्री. (सरस्वती) वाणी, सहल-सभल वि. (सफल) सार्थक, भाषा, भारती, वाग्देवी
फलयुक्त, सफल सरिच्छ-सरिक्ख वि. (सदृश) समान, सहसा अ. (सहसा) अचानक,
अकस्मात्, शीघ्र, जल्दी सरीर न. (शरीर) शरीर
सहा स्त्री. (सभा) सभा सरूव नपुं. (स्वरूप) स्वरूप सहाव पुं. (स्वभाव) प्रकृति, निसर्ग सरोय नपुं. (सरोज) कमल । सही स्त्री. (सखी) सहेली सरोरुह नपुं. (सरोरुह) कमल साउ वि. (स्वादु) मधुर, स्वादयुक्त सलाहा स्त्री. (श्लाघा) प्रशंसा, साण-स पुं. (श्वन्) कुत्ता गुणगान
सामन्न वि. (सामान्य) साधारण सवण नपुं. (श्रवण) सुनना सामाइअ नपुं. (सामायिक) सामायिक, सव्व सर्व (सर्व) सब
दो घड़ी समता में रहना सवओ-सव्वतो-सव्वत्तो अ. (सर्वतस्) सामि पुं. (स्वामिन्) स्वामी, नायक सब तरह से, सर्वत्र , सभी जगह साय नपुं. (सात) सुख
तुल्य
- २७३

Page Navigation
1 ... 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326