Book Title: Aao Prakrit Sikhe Part 01
Author(s): Vijaykastursuri, Vijayratnasensuri
Publisher: Divya Sandesh Prakashan

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Page 300
________________ आचार्य आयरिअ, आइरिअ पुं. सूरि पुं. ( सूरिन) आज्ञा आणा स्त्री. (आज्ञा) आता आगच्छंत वर्त. कृ. (आगच्छत्) आदेश आएस पुं. (आदेश) आधि आहि पुं. स्त्री. (आधि) आभूषण भूसण नपुं. (भूषण) आया हुआ आगय कर्म. भू. (आगत ) आयुष्य आउस, आउ पुं. नपुं. (आयुष्) आरम्भ आरंभ पुं. (आरम्भ) आलोचना आलोचना स्त्री. (आलोचना) आशातना आसायणा स्त्री. (आशातना) आश्चर्य अच्छेर नपुं. (आश्चर्य) आश्रय आहार पुं. (आधार) आश्विन मास आणि पुं. (आश्विन) आसक्त आसत्त वि. ( आसक्त ) रवि. (रत) आहार आहार पुं. (आहार) इ इनाम पाहुड नपुं. (प्राभृत) उ उग्र उग्ग वि. (उग्र) (उत्तम) (उत्कृष्ट) उत्तम उत्तम, उत्तिम वि. वर वि. (वर) उत्कृष्ट उक्किट्ठ वि. उत्साह उच्छाह पुं. (उत्साह) उद्यम उज्जोग पुं. (उद्योग) उपर उवरि, उवरिं अ. (उपरि ) उपदेश उवएस पुं. ( उपदेश) उपहार पाहुड नपुं. (प्राभृत) उपांग उवंग पुं. नपुं. ( उपाङ्ग) उपाय उवाय पुं. ( उपाय ) उपाध्याय उवज्झाय, ऊज्झाय, ओज्झाय पुं. ( उपाध्याय) उसके बाद तओ अ. (ततः) इंधर अत्थ एत्थ (अ.) अत्र इन्द्र इंद पुं. (इन्द्र) सक्क पुं. (शक्र) ईश्वर ईसर पुं. (ईश्वर) इस कारण अओ अ. ( अतः ) इस तरह ऐसे त्ति, इइ, इअ अ. (इति) इसलिए, इससे तओ अ. (ततः) ऋ ऋद्धि इड्डि ऋद्धि स्त्री. (ऋद्धि) ऋषि रिसि पुं. (ऋषि) ए-ऐ पारितोसिअ वि. (पारितोषिक ) एकदम सहसा अ. (सहसा ) ऐसे त्ति, इइ, इअ अ. (इति) और च य औ अ. (च) " क कंठ कंठ पुं. (कण्ठ) कन्या कन्ना, कन्नगा स्त्री. (कन्या-कन्यका) कपटी, धूर्त सढ पुं. (शठ) २७७

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