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15. सीसा आइरिए विणएण वंदिरे । 16. सज्जणा कयाइ अप्पकेरं सहावं न छड्डिरे । 17. वाहो मिगे सरेहिं पहरेइ । 18. सीलेण सोहए देहो, न वि भूसणेहिं । 19. धणेण रहिओ जणो सव्वत्थ अवमाणं पावेज्ज । 20. बुहो फरुसेहिं वक्केहिं कंपि न पीलेइ । 21. भावेण सव्वे सिद्ध नमिमो । 22. वीयराग नाणेण लोगमलोगं च मुणेइरे । 23. संघो तित्थं अडइ । 24. आयारो परमो धम्मो, आयारो परमो तवो । आयारो परमं नाणं, आयारेण न होइ किं? ||
प्राकृत में अनुवाद करें1. काम व्यक्ति को दुःख देता है । 2. चन्द्र से आकाश शोभा देता है | 3. जन्म से ब्राह्मण नहीं होता है, लेकिन आचरण से होता है । 4. लोभ व्यक्ति को परेशान (हैरान) करता है । 5. राजा नीतिपूर्वक राज्य करते हैं । 6. पाप से मनुष्य नरक में जाता है और धर्म से स्वर्ग में जाता है | 7. मयूर बादल से खुश होते हैं । 8. तुम दोनों नृत्य के साथ गाते हो। 9. (दो) हाथों से तुम पुष्प ग्रहण करते हो। 10. साधु ज्ञान बिना सुख प्राप्त नहीं करते हैं । 11. हम स्तोत्रों से जिनेश्वर की स्तुति करते हैं । 12. कपटी सज्जनों की निन्दा करता है । 13. उपाध्याय सूत्रों का उपदेश देते हैं । 14. मूर्ख दीपक. से वस्त्र जलाते हैं । 15. हम पुष्पों द्वारा जिनबिम्ब की पूजा करते हैं | 16. मनुष्य धर्म द्वारा सर्वत्र सुख प्राप्त करता है । 17. पण्डित भी मूों को खुश नहीं कर सकता है। 18. साधु काम, क्रोध और लोभ को जीतते हैं । 19. वीर शस्त्रों को फेंकता है। 20. हम दो संघ के साथ तीर्थ की ओर जा रहे हैं । 21. वाचाल मनुष्य कुछ भी नहीं कर सकता है । 22. जो तत्त्व को जानता है वह पण्डित है ।