Book Title: Aao Prakrit Sikhe Part 01
Author(s): Vijaykastursuri, Vijayratnasensuri
Publisher: Divya Sandesh Prakashan

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Page 260
________________ उदा. सइ सइं दु - दोच्चं, दुक्खुत्तो (द्वि:) दो बार ति तच्चं तिक्खुत्तो (त्रिः) तीन बार . `चउ - चउक्खुत्तो (चतुः) चार बार पंचत्तं, पंचक्खुत्तो (पञ्चकृत्वः) पाँच बार सयहुत्तं, सक्खुत्तो (शतकृत्वः) सौ बार सहस्सहुत्तं, सहस्सक्खुत्तो (सहस्रकृत्वः) हजारबार अणंतहुत्तं, अणंतक्खुत्तो, अनंतखुत्तो (अनन्तकृत्वः) अनन्तबार प्रकार अर्थ - ~ - 13. प्रकार अर्थ में हा (धा) और विह (विध) प्रत्यय लगाये जाते हैं । उदा. एगहा अ. (एकधा), एगविह वि. (एकविध) एक प्रकार से दुहा अ. (द्विधा), दुविह वि. (द्विविध) दो प्रकार से तिहा अ. (त्रिधा), तिविह वि. (त्रिविध) तीन प्रकार से अ. (चतुधा), चउविह चउहा वि. (चतुर्विध) चार प्रकार से चउद्धा चउविह } अट्टहा अ. (अष्टधा), दसहा अ. (दशधा ), = बहुहा अ. (बहुधा), सहा अ. ( शतधा ), एगहुतं, एक्कसिं (सकृत्) एकबार अइसय (अतिशय ) महिमा, = सहस्सहा अ. (सहस्रधा ), सहस्सविह वि. (सहस्रविध) हजार प्रकार से नाणाविह वि. (नानाविध) अलग-अलग प्रकार से अट्ठविह वि. (अष्टविध) आठ प्रकार से दसविह वि. (दशविध) दस प्रकार से बहुविह वि. (बहुविध) अनेक प्रकार से सयविह वि. ( शतविध ) सौ प्रकार से शब्दार्थ (पुंलिंग) वगैरह अतिशय, | आइ (आदि) = प्रथम, प्रधान, कत्तिअ (कार्तिक) = कार्तिक मास प्रभाव कवल (कवल) = कवल अंब (आम्र) = आम का वृक्ष अज्झाय (अध्याय) = ग्रन्थ का अमुक कुरु (कुरु) = एक देश का नाम, कुरु खंडिअ ( खण्डिक) = छात्र, विद्यार्थी भाग, प्रकरण, अध्याय • अरिह (अर्हन्) = तीर्थंकर अरिह शब्द का प्रथमा एकवचन अरिहा भी होता है । २३७

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