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हुंतो । पूजाष्टक (पृ.२४, गा.४६) जो तूने मुझे अब नहीं छोड़ा होता, तो मैं मांस में आसक्त इत्यादि पक्षीयों का भोजन बनता । पुं.बहुव. : ते पुण जइ अन्नोन्नं पासंता, तया तत्थ न विसंता । (बृह० गा. ३४२७) उन्होंने जो परस्पर एक दूसरे को देखा होता, तो वहाँ प्रवेश नहीं करते। पुं. एकव. बहुव. जइ तस्स गुणा हुंता, ता नूणं जणो वि (तं) सलहतो । (संवेग० शा० पृ. ३७, गा.९८) जो उन्नमें गुण होते, तो निश्चय लोग भी उसकी प्रशंसा करते । पु.एकव. बहुव. जइअज्ज पहु ! तए हं विणासिओ हुँतो, तो केत्तियमेत्ता पुत्ता मज्झ जणयस्स हुंता । (पू.पृ.२९, गा. ९९) हे स्वामिन् ! जो तुम्हारे द्वारा आज मेरा विनाश किया गया होता, तो मेरे पिताजी के कितने पुत्र होते ? (अर्थात् एक भी नहीं होता ।) पुं. एकव. स्त्री. एकव. : जइ (तुम्ह) तणयं हं न हरावंतो, ता मे सुया मरंती । (पू.पृ. ३८, गा-२४) जो मैंने तुम्हारे पुत्र का अपहरण नहीं करवाया होता, तो मेरी पुत्री मर जाती। पुं. एकव. स्त्री. एकव. : एयंमि मसे अच्छंते, (ता) एसा पडिमा अईव अब्भुदयहेऊ सप्पभावा हुंता । (तीर्थकल्प पृ.२४) जो इस में (प्रतिमा में) काला चिह्न-डाघ होता तो यह प्रतिमा अत्यन्त अभ्युदय में कारणभूत और प्रभावशाली होती। पुं. एकव. नपुं. एकव. : जइ नवरं जीवाकुल लोगो न दिट्टो हुँतो, तो सुंदर हृतं । (निशीथ. भा. १, पृ.पू) जो जीवों से व्याप्त जगत् देखा होता, तो अच्छा होता । पुं. एकव. नपुं. एकव. : जइ पढममेव सो तुम्हेहिं नियत्तिओ होतो, ता जुत्तं हुंतं । (महा. नि.पृ.९८, गा. ९९) जो पहले से ही वह तुम्हारे द्वारा वापिस लौटाया (भिजवाया return किया) होता, तो योग्य होता । पुं. एकव. नपुं. एकव. : जइ मूले वि रोसुप्पायणं करेंतो, ता, जुत्ततरं हृतं । (महा.पृ.९) जो प्रारम्भ में ही रोस की उत्पत्ति गुस्सा किया होता, तो ज्यादा अच्छा होता । जइ हं नागच्छंतो, ता एक्कमवि पावं न मे हुतं । (पूजा. पृ.२१,
गा.१३) जो मैं नहीं आया होता, तो मुझे एक भी पाप नहीं लगता । स्त्री. एकवचन - । जइ गब्भाओ पडंता, बालत्तेवावि जइ ममा होता ।
ता किं मज्झ निमित्ते, होज्ज इमा आवया तुज्झ ?
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