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(करुणरस कदंबक पृ.३३ (यदि मेरा गर्भपात हो गया होता अथवा बाल्यावस्था में ही मर गई होती तो क्या मेरे निमित्त से तुझे यह आपत्ति होती ?) स्त्री. एक. । जइ हं तं पुच्छंती, तो सो तइया वि मह पयासंतो । पु. एक.
(पूजा-पृ.३७ गथा. ७५) (यदि मैने उसे पूछा होता तो उसने
मुझे उसी समय बताया होता ।) स्त्री. एक. । जइ वल्लहजणे मणो जाइ, तहा जइ तणू वि वच्चंती नं. एक. ता नूण कस्सइ तविरहविहूरतं न हुतं ।
(पू.पृ. ३१ गाथा ७५) (जिस प्रकार प्रिय मनुष्य के विषय में मन जाता है, उसी प्रकार यदि शरीर भी गया होता तो उसके विरह
से व्याकुलता किसी को नहीं होती ।) नपु. एक. । जइ पुण दुगंछिएसु कुलेसु एयाण जण्णमिह हुंतं, ता पु. बहु. कह जयएक्कपुज्जा ठायंता तग्गिहे मुणिणो ।
(संवेग, पृ.१६३ गाथा ६१) (यदि ३ यहां निंदित कुलों में उनका जन्म हुआ होता तो जगत् में अजोड रुप से पूजनीय ऐसे मुनि उनके घर में कैसे रहते ?) जइ सव्वण्णूहिं तिकालदरिसीहिं सव्व सुकरं दिटुं हुंतं तो णं अम्हारिसा कापुरिसा सुहं करतो । (निशीथ भाग १, पृ. ५) (यदि त्रिकालदर्शी सर्वज्ञों ने सबकुछ सरलता से हो जाय ऐसा देखा होता तो हमारे जैसे कायर
पुरुष सरलता से कर लेते) स्त्री. एक. । होज्ज न संझा होज्जा, न निसा तिमिरं पि न. ए. पु.ए. जइ न होमाणं, ता होता कह अम्हे, इअ संपइ पंसुलालावो ।
(कुमारपाल चरित स. ५ गा. १०५) यदि संध्या नहीं हुई होती, यदि रात्रि नहीं हुई होती तो हम कैसे होते (हमारी क्या दशा होती) इस प्रकार अभी पांसुला-दुराचारी स्त्रियों का वचन है ।)
रूप
एकवचन
बहुवचन पुंलिंग- | हस् - हसन्तो, हसमाणो हसन्ता, हसमाणा
हो - होन्तो, हुन्तो, होमाणो | होन्ता, हुन्ता, होमाणा स्त्रीलिंग- | हस् - हसन्ती, हसमाणी | हसन्तीओ, हसमाणीओ
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