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20. सव्वस्स उवयरिज्जइ, न पम्हसिज्जइ परस्स उवयारो |
विहलं अवलंबिज्जइ, उवएसो एस विउसाणं ।।4।। 21. रिउणो न वीससिज्जइ, कयावि वंचिज्जइ न विसत्थो ।
न कयग्घेहि हविज्जइ, एसो नाणस्स नीसंदो ।।5।। 22. वन्निज्जइ भिच्चगुणो, न य वन्निज्जइ सुअस्स पच्चक्खे ।
महिलाओ नोभया वि हु, न नस्सए जेण माहप्पं ।।6।। 23. जीवदयाइ रमिज्जइ, इंदियवग्गो दमिज्जइ सयावि ।
सच्चं चेव चविज्जइ, धम्मस्स रहस्समिणमेव ||7|| 24. दीसइ विविहचरितं, जाणिज्जइ सुयणदुज्जणविसेसो । धुत्तेहिं न वंचिज्जइ, हिंडिज्जइ तेण पुहवीए ||8||
प्राकृत में अनुवाद करे1. लक्ष्मण द्वारा शत्रु का मस्तक काटा गया । 2. श्रावकों द्वारा गुरुओं के वचन पर श्रद्धा की जाती है । (सद्दह) 3. श्रद्धा से उपाध्याय के पास ज्ञान प्राप्त किया जाता है । 4. योगियों द्वारा श्मशान में मन्त्रों का ध्यान किया जाता है । (झा) 5. नटों द्वारा दरवाजे में नृत्य किया जाता है। 6. प्रजाजन राजा की आज्ञा का अपमान न करें। 7. चोर के ललाट में अग्नि द्वारा चिह्न किया जाता है । 8. पहले कोई जल और वनस्पति में जीव नहीं मानते थे, लेकिन अब यन्त्र
के प्रयोग से उनमें साक्षात् जीव दिखाई देते हैं । 9. राजा के पुरुषों द्वारा चोर पकड़ा गया और दण्ड दिया गया । 10. जो धन न्यायमार्ग से प्राप्त किया जाता है, वह कभी भी नष्ट नहीं होता। 11. रात्रि में मुनियों द्वारा स्वाध्याय किया जायेगा । 12. शिष्यों को सदा आचार्य की सेवा करनी चाहिए । 13. मैं दुष्कर्मों से मुक्त होता हूँ। 14. तुम मोह से पागल नहीं होते हो । 15. तू शत्रु द्वारा जीता गया | 16. तुम धर्म द्वारा रक्षण कराये गए । 17. यदि हमेशा धर्म सुना जाय, दान दिया जाय, शील धारण किया जाय,
गुरुओं को वन्दन किया जाय, विधिपूर्वक जिनेश्वर की प्रतिमा की पूजा की
जाय और तत्त्वों की श्रद्धा की जाय तो यह संसार तैरा जा सकता है। 18. थोड़ा भी परोपकार किया जाय तो परलोक में सुखी बनेंगे । 19. बालक द्वारा पिता की आज्ञा मानी गयी । 20. उत्तम पुरुषों द्वारा जो कार्य प्रारम्भ किया जाता है उसमें वे अवश्य व सफल होते हैं।
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