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प.
बी.
त.
च. छ.
पं.
स.
तुम्ह (युष्मद्)
तुं, तुमं
तुं, तुमं
तए, तुमए
तुह, तुव तुमत्तो, तुमाओ
तुमए, तए
उदा. तणुवी (तन्वी) लहुवी (लघ्वी) पुहुवी (पृथ्वी)
तुम्हे तुज्झे
तुम्हे तुज्झे तुब्भेहिं, तुम्हेहिं
7. अन्त में 'वी' संयुक्त हो ऐसे स्त्रीलिंग नामों में 'वी' के पूर्व उ रखा जाता
है ।
"
तुब्भाण, तुम्हाण तुब्भत्तो, तुब्भाओ,
तुब्भेसु तुम्हेसुं
अणुग्गह (अनुग्रह) = उपकार, कृपा जणद्दण (जनार्दन) = वासुदेव का नाम जराकुमार (जराकुमार) = वसुदेव राजा का पुत्र, वासुदेव का बड़ा भाई, कुमार
मउवी (मृवी) गुरुवी (गुर्वी)
"
8. क (किम्) सर्वनाम के रूपों को 'चि, इ, ई' (चित्) और 'पि-वि' (अपि) प्रत्यय लगाने पर प्रश्नार्थ दूर होकर अनिश्चयार्थ होता है ।
उदा. कस्सइ, कासइ (कस्यचित्) | केणइ ( केनचित् ) किसी के द्वारा
किसी का
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कस्सवि, कासवि (कस्यापि) केणवि (केनापि ) किसी के भी द्वारा किसी का भी
केइ, केई (केचित् ) कोई केवि (केऽपि) कोई भी
शब्दार्थ
कंचि (कञ्चित् ) किसी को
कंपि (कमपि) किसी को भी
(पुलिंग)
=
निब्बंध (निर्बन्ध ) आग्रह पणाम (प्रणाम) = नमस्कार भोग (भोग) = शब्दादि विषय, खाना महप्प ( महात्मन् ) = महात्मा, योगी विसाय (विषाद) = खेद, शोक
जायव (यादव) = यदुवंशीय, यदु वंश संजोग (संयोग) = सम्बन्ध, मिलन
का
सामि (स्वामिन् ) = स्वामी, नायक,
अधिपति