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23. एगो मे सासओ अप्पा, नाणदंसण संजुओ ।
सेसा मे बाहिरा भावा, सव्वे संजोगलक्खणा ||8|| 24. संजोगमूला जीवेण, पत्ता दुक्खपरंपरा ।
तम्हा संजोगसंबंध, सव्वं तिविहेण वोसिरिअं ||9|| 25. अरिहंतो महदेवो, जावज्जीवं सुसाहुणो गुरुणो । जिणपन्नत्तं तत्तं, इअ सम्मत्तं मए गहिअं ||10|| प्राकृत में अनुवाद करें
1. देव और असुरों के समूह से वन्दन किये हुए जिनेश्वर देव हमारा रक्षण करें । 2. जो दुविधा में आये हुए ( दुविधा प्राप्त) को शान्ति देता है, दुःख प्राप्त (दुःखी) का उद्धार करता है, शरण में आये हुए ( शरणागत) का रक्षण करता है, उन पुरुषों द्वारा पृथ्वी अलंकृत है ।
3. अहिंसा, संयम और तप ये धर्म जिनके हृदय में हैं, उनको देव भी नमस्कार करते हैं ।
जो मनुष्य धर्म का त्याग करके केवल काम और भोगों का सेवन करता है, वह किसी भी काल में सुख नहीं पाता है ।
5. सभी मंगलों में प्रथम मंगल कौन-सा है ?
4.
6. हे भगवन् ! धर्म का उपदेश देकर आपने मुझ पर अनुग्रह किया है । 7. स्वामी की आज्ञा में रहना, उसी में तुम्हारा कल्याण है । जब पुण्य का नाश होता है, तब सब विपरीत होता है ।
8.
9. हे प्रभु ! तुम्हारे चरणों की शरण स्वीकार कर कौन सा मनुष्य संसार नहीं तरेगा ? 10. इस लोक (इस भव) में शुभ या अशुभ कर्म किया है, वही परलोक में साथ में आता है, इसलिए तुम शुभकर्म का संचय करो ।
11. इस संसार में किसका जीवन सफल है ?
12. जिसके जीवित रहने पर सज्जन और मुनि जीते हैं और जो हमेशा परोपकारी है उसका जीवन सफल है ।
13. यह मेरा है और यह तेरा है, इस प्रकार की वृत्ति तुच्छ मनवालों की होती है, लेकिन महात्माओं को संपूर्ण जगत् अपना ही है ।
14. तू कहता है कि यह पुस्तक मेरी है और तेरा मित्र कहता है कि यह पुस्तक उसकी है तो तुम्हारे में सत्यवादी कौन है ?
15. उस व्यक्ति ने इन बालकों को और उन बालिकाओं को सभी फल दे दिए । 16. राजा ने एकदम कहा कि वे मनुष्य कौन हैं, कहाँ से आते हैं और मेरे पास उनका क्या काम है ?
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