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8. वह त्यागी है, इस कारण गरीबों को दान देगा | 9. वह तापस है, इसलिए फलों का आहार करेगा । 10. तुम क्षमा धारण करोगे तो दुर्जन क्या करेगा ? | 11. वसंत ऋतु में नगर के लोग उद्यान में घूमने जायेंगे तब वह कन्या
सखियों के साथ अवश्य आयेगी । 12. तापस वन में उग्र तप करता है और तप के प्रभाव से इन्द्र की ऋद्धि
प्राप्त करेगा । 13. तुम बड़ों की सेवा करोगे तो सुखी होंगे । 14. आप सार्थ के साथ विहार करोगे तो जंगल में भय नहीं रहेगा । 15. मैं संसार के दुःखों से डरता हूँ, इस कारण दीक्षा ग्रहण करूंगा । 16. तुम जीवहिंसा मत करो, अन्यथा दुःखी होंगे | 17. क्रोध प्रेम का नाश करता है, माया मित्रता को नष्ट करती है, मान विनय
का नाश करता है और लोभ सभी गुणों का नाश करता है, इस कारण
उनका त्याग करेंगे । 18. चोर दक्षिणदिशा में गये हैं किन्तु उनकी अवश्य तलाश करूंगा । 19. तू सरोवर में जायेगा तो अवश्य डूब जायेगा । 20. वह कुत्ता भौंकेगा किन्तु काटेगा नहीं । 21. जीवदया समान धर्म नहीं है और जीवहिंसा समान अधर्म नहीं है ।
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