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23. पारेवओ सडिअं धन्नं कया वि न खाएज्जा । 24. केसरी अद्य उज्जाणे वसीअ इअ सो अब्बवी । 25. गणहरा सुत्ताणि रइंसु । 26. जिणीसरो अटुं वागरित्था । 27. बंभचेरेण बंभणा जाइंस । 28. सोत्तं सुएणं न हि कुण्डलेण, दाणेण पाणी न य भूसणेण । देहो सहेइ करुणाजुआणं परोक्यारेण न चंदणेण ।।
प्राकृत में अनुवाद करें1. अमृत पीया लेकिन अमर नहीं हुआ । 2. पराक्रम से शत्रुओं को जीता । 3. मुसाफिरों ने वृक्ष के नीचे विश्रान्ति ली । 4. राम ने गुरु के आदेश का अनुसरण किया इसलिए सुखी हुआ है । . 5. मुसाफिर ने किसान को रास्ता पूछा । 6. दक्षिण दिशा का पवन बारिस लाया । 7. सज्जन दुर्जन के जाल में फँसा | 8. उसने प्राणों के नष्ट होने पर भी अदत्त ग्रहण नहीं किया । 9. जैन धर्म में जैसा तत्त्वों का ज्ञान देखा, वैसा अन्य में नहीं देखा । 10. सुख और दुःख इस संसार चक्र में अनंतबार जीव ने भुगता है, उसमें आश्चर्य
क्या ? 11. तुमने पाप से बचाया अतः तुम्हारे जैसा दूसरा उत्तम कौन हो ? 12. रावण ने नीति का उल्लंघन किया, इस कारण वह मृत्यु पाया । 13. पंडित मृत्यु से नहीं डरे । 14. शिष्यों ने गुरु के पास ज्ञान ग्रहण किया । 15. बहुत से भव्य जीवों ने तीर्थंकर की पूजा से नित्य सुख प्राप्त किया । 16. तुम दोनों प्रभात में कहाँ रहे ? 17. हम इस नगर में रहते हैं। 18. हमें प्रभु महावीर से धर्म प्राप्त हुआ । 19. यहाँ धर्म वही, जो धन और सुख का कारण है । 20. उनमें ज्ञान था इसलिए उनको पूजा गया । 21. तुम गुरु की वैयावृत्य से खूब होशियार हुए । 22. वह नगर के बाहर गया और उसने भालुओं का युद्ध देखा । 23. मंदिर के ध्वज पर मैंने मयूर देखा ।
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