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17. साहवो परोवयाराय नयराओ नयरंसि विहरेइरे । 18. वसहो वसहं पासेइ ढिक्कइ अ । 19. जणेसु साहू उत्तमा अस्थि । • 20. हत्यिणो विंझम्मि वसंति । 21. हे सिसु ! तुं सम्मं अज्झयणं न अहिज्जेसि । 22. अन्नाणीसुं सुत्ताणं रहस्सं न चिट्ठइ । 23. गिम्हे दिग्घा दिवसा हुविरे । 24. सिसू तं जणए वच्छलोसि । 25. जो दोसे चयइ सो सव्वत्थ तरइ । 26. गुणीसुं चेअ गुणिणो रज्जंति नागुणीसु । 27. * सव्वेसु पाणीसुं तित्थयरा उत्तिमा संति । 28. जं पहूणं रोएइ, तं चेव कुणंति सेवगा निच्चं । 29. सच्चं सुअं पि सीलं, विन्नाणं तह तवं पि वेरग्गं ।
वच्चइ खणेण सव्वं , विसयविसेण जईणं पि ||1|| 30. जह जह दोसो विरमइ, जह x विसएहि होइ वेरग्गं ।
तह तह वि नायव्वं , आसन्नं चिअ परमपयं ।।2।। 31. धन्नो सो जिअलोए, गुरवो निवसंति जस्स हिअयंमि । धन्नाणं वि सो धन्नो, गुरूण हिअए वसइ जो उ ।।3।।
प्राकृत में अनुवाद करें1. ' बालक कण्ठ में हार धारण करते हैं । 2. इन्द्र देवों को तीर्थंकर के अतिशय कहते हैं । 3. वह शहद में बहुत आसक्त है। 4. सर्वज्ञ में जो गुण होते हैं वे गुण दूसरों में नहीं होते हैं । 5. उस पर्वत पर जहाँ गुरु रहते हैं वहाँ मैं रहता हूँ ।
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* ऐसे वाक्यों में छट्टी या सप्तमी विभक्ति रखी जाती है | x पंचमी के स्थान पर तृतीया विभक्ति भी होती है । उदा. चोरेण बीहइ
(चौराद् बिभेति)
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