________________
6. (अ) शब्द के प्रारंभ में (व्यंजन के बाद) ऋ हो तो अ होता है, प्रारंभ में
मात्र ऋ हो तो रि होता है। (ब) कृपा इत्यादि शब्दों में क्र का इ, ऋतु इत्यादि शब्दों में क्र का उ
और दृश के दृ का रि होता है । (क) ऋण-ऋजु-ऋषभ-ऋतु-ऋषि इन शब्दों में क्र का विकल्प से रि होता __ है तथा वृषभ के व का उ विकल्प से होता है । (१/१२६, १२८,
१३१, १४०, १४१, १४२) उदा. घयं (घृतम्) .. हिययं (हृदयम्) कयं (कृतम्)
उऊ (ऋतुः) रिच्छो (ऋक्षः)
पुट्ठो (स्पृष्टः) रिद्धी (ऋद्धिः)
सरिसो (सदृशः) किवा (कृपा) विकल्प से = रिणं - अणं | रिऊ - उऊ (ऋतुः) .
(ऋणम्) रिजू - उज्जू (ऋजुः) | रिसी - इसी (ऋषिः)
रिसहो - उसहो (ऋषभः) | उसहो - वसहो (वृषभः) 7. शब्द के अन्दर द्य, य्य,र्य हो तो ज्ज होता है और प्रारंभ में हो तो ज
होता है । (१/२४५, २/२४) उदा. ध - मज्जं (मद्यम्) | य्य - सेज्जा (शय्या) | र्य - कज्जं (कार्यम्)
द्य - वेज्जो (वैद्यः) | र्य - भज्जा (भार्या) |र्य - पज्जाओ (पर्यायः) प्रारम्भ में-द्य-जोअए
(द्योतते) 8. ह्रस्व स्वर के बाद थ्य, च, त्स, प्स हो तो प्रयोगानुसार च्छ होता है । (२/२१) . उदा. पच्छं (पथ्यम्) . उच्छाहो (उत्साहः) मिच्छा (मिथ्या)
संवच्छरो (संवत्सरः) अच्छेरं (आश्चर्यम्) |.. लिच्छइ (लिप्सति)
पच्छा (पश्चात्) । जुउच्छइ (जुगुप्सति) 9. शब्द के अन्दर ह्व का ब्म विकल्प से होता है। उदा. जिब्भा (जिह्वा)
जीहा 10.जिसके ऊपर क्रोध, द्रोह वगैरह किया जाता है उस शब्द को छठी
विभक्ति रखी जाती है |
-
-
-