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14. त और एअ का पुंलिंग प्रथमा एकवचन अनुक्रम से स, सो और एस
एसो रूप होता है । 15. सभी सर्वनामों का प्रथमा बहुवचन ए प्रत्यय लगाने से होता है ।
उदा. सव्वे, के, एए इत्यादि. 16. क शब्द का नपुंसकलिंग प्रथमा एकवचन और द्वितीया एकवचन 'किं'
रूप होता है। शेष सभी अकारांत सर्वनामों के पुंलिंग और नपुंसकलिंग रूप अकारांत पुंलिंग और नपुंसकलिंग के समान ही होते हैं । कुछ रूपों में विशेषता है वह आगे (पाठ.24 में) बतायेंगे ।
अव्यय अज्ज (अद्य) आज.
च, य, अ, (च) और वि, पि (अपि) लेकिन.
न (न) नहीं. 17. अव्यय- सर्वलिंग, सर्ववचन और सर्वविभक्ति में समान होते हैं ।
धातु वरिस् (वृष) बरसना..
| उव + दिस् (उप + दिश्) = उपदेश करिस् (कृष्) खेड़ना , खींचना, आकर्षण | देना. करना.
गिण्ह (ग्रह) ग्रहण करना. दरिस् (दृश्) देखना.
|नमंस् (नमस्य) नमस्कार करना. धरिस् (धृष) सामना करना. | प-मज्ज् (प्र + मृज्) साफ करना, मरिस् (मृश्) सोचना
|संमार्जना करना. मरिस् (मृष) सहन करना. प-यास् (प्र + काश्) प्रकाश देना. हरिस् (हृष्) खुश होना.
लह = (लभ) पाना
__ हिन्दी में अनुवाद करें1. देवा वि तं नमसंति । 6. सो तं धरिसेइ । 2. मुरुक्खो बुहं निंदइ । 7. अब्भं वरिसेइ । 3. देवा तित्थयरं जाणिन्ति । 8. मोरो नट्टं कुणेइ । 4. समणे नयरं विहरेइ । - 19. पुरिसा जिणे वंदेइरे । 5. आयरिओ सीसे उवदिसइ । |10. दाणं तवो य भूषणम् ।
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