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7. निम्नलिखित रूप पहचानो
जाणित्था, गच्छेन्ति, गच्छिति, हसिरे, हुंति, हुज्ज, झंति, गच्छिज्ज, गच्छेज्जा ।
8. 'अस्' धातु के रूप बनाओ ।
9. व्यंजनान्त और स्वरान्त धातुओं के रूपों की विशेषता बताओ । 10. पूर्व के स्वर का लोप कब होता है ? दृष्टांत सहित बताओ । 11. 'ज्ज' और 'ज्जा' के पूर्व के 'अ' का क्या होता है ?
12. स्वरान्त और व्यंजनान्त धातुओं में 'ज्ज' और 'ज्जा' का उपयोग किस तरह होता है ? दृष्टान्त सहित बताओ ।
13. 'ने' और 'पुच्छ्' धातु के संपूर्ण रूप लिखें ।
उपसर्ग
नियम :
1. (अ) उ (उत् के अन्त्य व्यंजन का लोप होने पर ) उपसर्ग + व्यंजन व्यंजन द्वित्व Double होता है ।
उदा. उ + ठाइ = उठ्ठाइ, नि + झरेइ = निज्झरेइ, उ + धरइ = उध्धरेइ, - उद्धरेइ ।
(ब) द्वित्व व्यंजन जो वर्ग का दूसरा अथवा चौथा अक्षर हो तो द्वित्व के प्रथम अक्षर का उसी वर्ग का ( दूसरे का पहला और चौथे का तीसरा ) अनुक्रम से रखा जाता है । (२/९०) उदा.
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त्थ
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द्ध, फ्फ = प्फ, भ्भ = ब्भ होता है
ख्ख = क्ख =, घ्घ = : ग्घ, छ्छ = च्छ, झ्झ = ज्झ, ठ्ठ ड्ड थ्थ ध्ध 2. निर्, दुर् उपसर्ग के र् का विकल्प से लोप होता है, लोप न हो तब बादवाले व्यंजन का द्वित्व Double होता है और र् के बाद स्वर आये तो लोप नहीं होता है । (१/१३)
उदा. निर् + इ = निण्णेइ, निर् + सहो = निस्सहो, नीसहो, निसहो, निर् + अंतर = निरंतरं, दुर् + सहो = दुस्सहो, दूसहो, दुसहो, दुर् + उत्तरं = दुस्तरं, दुर् + खिओ = दुक्खिओ, दूहिओ. (दुःखितः)
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ट्ठ (ट्ठ), ढ्ढ
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उपसर्ग
उपसर्ग धातु के पहले रखे जाते है, वे (उपसर्ग) धातु के मूल अर्थ में परिवर्तन करके किसी स्थान में विशेष अर्थ, किसी स्थान में विपरीत अर्थ और किसी
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