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15. सो पाएज्जइ । 16. तुब्भे ठाज्ज | 17. अम्हे बे मिलाज्जेमु ।
18. अहं करेज्जा । 19. अहं ठाज्जेमि ।
20. सो पाज्जाइ । 21. अम्हे जीवेज्ज |
22. तुं जाएज्जसे ।
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• प्राकृत में अनुवाद करें
वे दो सिद्ध होते हैं ।
वह विस्तार करता है ।
हम पूजा करते हैं।
तुम दो छिड़कते हो ।
तुम उत्पन्न होते हो । खाते हैं ।
तुम खेद पाते हो।
तुम जीते हो ।
तुम दो युद्ध करते हो ।
23. तुज्झे बे मिलाएज्जाइत्था । 24. तुं गाज्जेसि ।
25. तुम्हे नच्चेज्जा ।
26. अहं छज्जेज्जा । 27. ते नस्सेज्ज । 28. तुज्झे पाएज्जाह । 29. अम्हे सडेज्जा । 30. तुम्हे दुवे डहेह |
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10. तुम बोध पाते हो । 11. तुम खड़े रहते हो ।
14. वह देता है ।
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मैं चूक जाता हूँ ।
वह मुर्झाता है ।
तुम खड़े रहते हो ।
तुम चमकते हो ।
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19. वे ले जाते हैं ।
20. तुम हड़पते हो ।
21. हम पीते हैं ।
वे गाते हैं ।
वह धारण करता है ।
तुम सब विचार करते हो ।
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25. हम दो खिन्न होते हैं ।
12. तुम सब ध्यान करते हो ।
13. मैं उत्पन्न होता हूँ ।
• ये वाक्य ज्ज और ज्जा के प्रयोगसहित करें ।
स्वाध्याय
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो
1. प्राकृत में स्वर और व्यंजन कितने हैं ?
2. ऋ, लृ, ऐ, औ इन स्वरों के विकार कैसे होते हैं ?
3. प्राकृत में विसर्ग का क्या होता है ?
4. 'ङ्' और 'ञ्' का प्रयोग कहाँ होता है ?
5. 'मि' और 'मो' प्रत्यय के पूर्व के 'अ' में क्या परिवर्तन होता है ?
6. 'से' और 'ए' प्रत्यय जिसको नहीं लगे वैसी कुछ धातुओं के रूप लिखें ।
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