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मुरझाना.
जा (जन्) उत्पन्न होना.
जा (या) जाना, गमन करना.
झा (ध्यै) ध्यान करना.
ठा (स्था) खड़े रहना.
खा
खाय्
गा (गै) गाना .
गिला (ग्लै) खिन्न होना, कुम्हलाना, ने (नी) ले जाना, रास्ता दिखाना चव् (च्यु) गिरना, मरना, जन्मांतर में
जाना.
2.
हा (स्ना) स्नान करना. 2. दा (दा) दान देना, देना. धा (धा) धारण करना.
भा (भा) प्रकाशित होना, चमकना. पा (पा) पीना, पान करना. मिला (म्लै) कुम्हलाना, मुरझाना. खिन्न होना.
हो (भू) होना.
3.
धातु
}(खाट्) खाना,भोजन करना.
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इ का ए
ने (नी) डे (डी) जि
जय
3. जे (जि) जीतना डे (डी) उड़ना
उड्डे (उड् + डी) उड़ना
हव् (ह्न) छुपाना .
सव् (सू) जन्म देना.
हव् (हु) होम करना. जर (ज) जीर्ण होना, तर् (तृ) तैरना.
धर (धृ) धारणा करना.
वर (वृ-वृ) पसंद करना, चुनना. सर् (सृ) सरकना, खिसकना, फिसलना.
हर् (ह) हरण करना, हड़पना, ले जाना.
दा धातु में पुरुषबोधक प्रत्यय लगाते समय अन्त्य आ का किसी स्थान ए होता है ।
उदा. देइ, देन्ति, दिंति, देसि, देमि, देमु आदि रूप भी होते हैं। संस्कृत में जिन धातुओं के अन्त में इ, उ या ऋ स्वर हो तो उन धातुओं के अन्त्य इ का ए और किसी स्थान में अय्, उ का अव् और ऋ का अर् होता है । (४/२३३, २३४, २३७) उदा.
उ का अव्
ऋ का अर्
ण्हव् (ह्न)
कर (कृ)
चव् (च्यु)
धर (धृ)
व् (रु)
सर (सृ)
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बूढ़ा होना.