Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ 5 दांतराई इस गाँव में ओशवालजैनों के भक्ति-भाववाले 125 घर हैं / एक उपाश्रय और एक दो मंजिली धर्मशाला और इसके पास ही एक प्राचीन शिखरबद्ध सुन्दर मन्दिर है / मन्दिर में मूलनायक पार्श्वनाथप्रभु की श्यामवर्ण एक वेंत बडी प्रतिमा विराजमान है / इसमें कुल पाषाणमय प्रतिमा 11, और धातुमय पंचतीर्थी 3 हैं, जो प्राचीन हैं। इस गाँव में योग्य मुनिराजों के उपदेश की खास आवश्यकता है। 6 जीरावला- यह अति प्राचीन तीर्थ-स्थान है, जो प्रायः सारे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। यहाँ हरसाल दूर दूर देशों के यात्री यात्रार्थ आते हैं / यह स्थान अर्बुदाचल के नीचे आये हुए अणादरा गाँव से पश्चिम 14 माइल के फासले पर है। यहाँ दैवतगिरि पहाड की ढालू जमीन पर बड़ा विशाल वावन देवकुलिकाओं से शोभित शोधशिखरी जिनमन्दिर है, जिसमें मूलनायक श्रीनेमिनाथ की वादामीरंग की सुन्दर प्रतिमा पूर्व सम्मुख विराजमान है / तीर्थनायक जीरावली 'पार्श्वनाथ' इसीसे लगते उत्तर दिशा की देहरी में विराजमान हैं। कहा जाता है कि-विद्यमान पार्श्वनाथ . प्रतिमा वरमाण निवासी सेठ धांधलशाह को मोरिवा