Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (65) 16 सहस्रकमल, 17 ढंक, 18 कोटिनिवास,१९ लौहित्य, 20 तालध्वज, और 21 कदम्ब / ये इक्कीस नाम देव, मनुष्य और मुनिवरों के दिये हुए हैं। इस गिरिराज के ऊपर अनन्त भव्यजीव सिद्ध हुए और आगामीकाल में सिद्ध होवेंगे / इसका ऐसा कोई मी स्थान खाली नहीं है, जहाँ से जीव सिद्ध न हुए हों, इसीसे 'कांकरे कांकरे अनन्त सिद्ध हुए ' ऐसा कहा जाता है। वर्तमान जिनेश्वरों के शासनकाल में इस पवित्रतम गिरिराज के ऊपर ज्ञानावरणीय आदि घन-घाति, अपाति कर्मों को समूल खपाकर पुंडरीक गणधर पांच क्रोड, नमि-विनमि दो क्रोड, द्राविड-बारिखिल्ल दश क्रोड, साम्ब-प्रद्युम्न साढे आठ क्रोड, राम-मरत तीन क्रोड, अजितसेनजिन 17 कोड, सोमयशा 13 क्रोड, भरतनंदन-सूर्ययशा एक लाख, भरतजी पांच क्रोड, पांडव 20 क्रोड, नारदऋषी 91 लाख, शांतिनाथ के अणगार 1 क्रोड 52 लाख 55 हजार 777, अजितनाथ के अणगार 10 हजार, दमितारी 14 हजार, वैदर्मी 4400, सागरराजर्षी 1 क्रोड, वसुदेव स्त्रियाँ 35 हजार, थावच्चापुत्र एक हजार, शैलक 500, पन्थक 500, समुद्रमुनि 700 और संप्रतिजिन के धावच्चा गणधर 1000 मुनि के परिवार से सिद्ध हुए हैं।