Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 94 ) रचना और रोशनी के साथ विविध नाटक भक्ति संघवीके तरफ से कराई गई और त्रयोदशी के रोज प्रभु की लाखीणी अंगीरचना पूर्वक नवपदपूजा भणा के भूति (मारवाड़ ) निवासीनी सुश्राविका नोजीबाई के तरफ से नवकारसी हुई / पूर्णिमा के दिन संघवी के तरफ से भारी जुलुश के साथ श्रीपंचकल्याणक पूजा भणा के प्रभावना और नवकारसी हुई / पूर्णिमा के रोज ही तीर्थपति-श्रीमहावीरस्वामी के जिनालय के विशाल मंडप में संघने एकत्रित होकर विविध गान-मान के साथ शा० प्रतापचन्द धूराजी को तिलक करण पुरस्सर संघ-माला पहरा के जय जयारख की ध्वनि की / उसी समय संघपतिने अभिवर्द्धित भाव से तीर्थ के जुदे जुदे खातों में साढ़े पांचशो कोरी अर्पण की और कारखाने के मुनीम नोकरों को उनके सन्तोष लायक इनाम दिया / इस प्रकार अलभ्य तीर्थ-सेवा का लाभ प्राप्त करके फाल्गुनकृष्ण द्वितीया गुरुवार के प्रातःकाल में संघ भद्रेश्वर से वापिस रवाने हुआ और क्रमशः 2 भूवड,३-४ अंजार, 5 भीमासर, 6 चीरई, 7 भचाऊ, 8-9 सामखीयारी, 10 जंगी, 11 आणंदपुर (वांढिया), 12 सीकारपुर आदि छोटे बड़े गाँवों में मुकाम करता और सन्मान पूर्वक श्रीसंघ-भक्ति करता, कराता हुआ फाल्गुन वदि 14 के दिन 11 बजे पेथापर आया। यहाँ के संघने संघ