Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ . ( 163 ) और दसा श्रीमालीजैनों के 200 घर हैं, जिनमें आधे देरावासी तपागच्छ के और आधे स्थानकवासी लोकागच्छ के हैं / स्थानकवासियों की 'बोटादशाखा' इसी गाँव से निकली है / यहाँ के जैन कदाग्रही, ममत्वी और छिद्रग्राही हैं, जिससे यहाँ योग्य मुनिराजों का आगमन कम होता है / शहर में दो उपाश्रय, एक धर्मशाला और एक शिखरबद्ध जिनालय है-जिसमें श्रीऋषभदेव आदि की पांच प्रतिमा स्थापित हैं, जो श्वेतवर्ण 3 फुट बड़ी दर्शनीय प्राचीन हैं / एक श्वेताम्बरजैनपाठशाला भी है, जिसमें मूर्तिपूजक जैनबालकों को पंचप्रतिक्रमण और चार कर्मग्रन्थ तक अभ्यास कराया जाता है / 64 लाठीदड___ यहाँ वीसा श्रीमालीजैनों के 25 घर और एक छोटा उपाश्रय है / एक छोटे शिखरवाला जिनालय भी है, जो यहीं के निवासी संघवी लालचंद-नरसिंह-भूधर बेचर का बनवाया हुआ है / इसके मूलनायक श्रीचन्द्रप्रभस्वामी है, जो सं० 1958 में विराजमान किये गये हैं। मन्दिर के प्रतिष्ठोत्सव पर संघवी बेचर रामजीने सारे गाँव को तीन दिन तक भोजन दिया था। गाँव के लोग संघवीजी को चांदला देने को आये, परन्तु उनने चांदला नहीं लिया / उसके एवज में श्रावणमास से भाद्रवमास की