Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
View full book text ________________ ( 204 ) शासनपति सुरतरु समो, सूरीश्वरराजेन्द्र / चरण शरणे सुबोधता, लहे वाचकयतीन्द्र // 5 // भद्रेश्वरतीर्थमंडन-श्रीवीरजिन-स्तवनम् / ___देशी-नेम की जान बनी भारी, तीर्थ श्री भद्रेश्वर भारी, प्रभु श्रीवीर की छवि प्यारी / हुबोहुब बातें करनारी, प्रभु श्रीवीर की छबि प्यारी ॥टेर॥ आठ महामद गंजन रंजन, भंजन चउ भारी / सिद्धारथ नंदन त्रिजग वंदन, देखे सुखकारीचिमन गुल केशर की क्यारी ॥प्रभु० // 1 // क्षत्रियकुंड है जन्म कल्याणक, अविचल ऊग्यो भाण / त्रिशला सुत श्रीवीरजिनेश्वर, रत्नों केरी खाणलंछन श्रीसिंह को धरनारी ॥प्रभु० // 2 // जय जगदीश्वर तूं परमेश्वर, सहु जन में शिरताज / महाबली महावीर जिनेश्वर, रखना मेरी लाजजनम मरणान्तर दो टारी ॥प्रभु० // 3 // वसई नाम से दीपता, तीरथ यह उजमाल / भव भ्रमणता दूर करो री, लेना सार संभालसदा सुख शान्ति करनारी ॥प्रभु० // 4 // फाल्गुन कृष्ण प्रतिपद दिवसे, उन्निस नेऊ साल / संघ चतुर्विध साथ सुसागे, लिये वीर निहालकरम के रोग मिटाकारी // प्रभु०॥५॥
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