Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 173 ) के संघने श्रीसंभवनाथ का बिम्ब कराया और उसकी प्रतिष्ठा तपागच्छाचार्य श्रीविजयसिंहमूरिजीने की। अंजार सुपार्श्वनाथमंदिर २०-श्रीवीर सं० 2386 विक्रमसं०१९१६ शाके 1782 ज्येष्ठसुदि 13 शुक्रवार के दिन कच्छदेश के अंजारनगर में विधिपक्ष(अंचल)गच्छीय श्रीपूज्य भट्टारक श्री 108 श्रीरत्नसागरमूरिजी के राज्य में उनके आज्ञापात्र मुनिक्षमालाभजी के उपदेश से भुजनगर निवासी वडोडागोत्रीय सेठ मांगजी भवानजीने नवीन मन्दिर कराया और अंजारनगर में संघमुख्य सा वालजी शांतिदास सहित श्रीसुपार्श्वनाथ के बिम्ब की प्रतिष्ठा तथा जिनभक्त मातंगयक्ष, शांतादेवी, चक्रेश्वरीदेवी और महाकालीका की मूर्ति की स्थापना की। जंगी चन्द्रप्रभप्रतिमा-- २१-सं०१९२१ शाके 1786 प्रथम माघसुदि 7 के दिन कच्छकोठारा निवासी अंचलगच्छ में ओशवाल शा० गांधीमोहता शा० श्रीनायक माघसी की स्त्री हीरबाई के पुत्र शा० केशवजीने (चन्द्रप्रभ प्रतिमा) कराई। वांढिया चन्द्रप्रभमन्दिर-- २२-सं०१८५७ माघसुदि 6 शुक्रवार के दिन जेत