Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 174 ) पर संघने श्रीचन्द्रप्रभ का बिम्ब कराया / उसकी प्रतिष्ठा तपागच्छीय भ० श्रीविजयदेवेन्द्रसूरीश्वर के राज्य में पं० मेघसागरगणि, भ० रत्नसागरगणि, पं० देवसागरगणि, पं० हेमसागरगणि और देवचंदजीने की / आणंदपुर के समस्तसंघने जाडेजा ठाकुर भावां के राज्य में यह जिनालय बनवाया और पं० दयासागर तथा गुमानसागर दोनों यतिने 40000 कोरी दी। २३-सं० 1868 शाके 1734 चैत्रसुदि 15 शुक्रवार के रोज आणंदपुर के समस्त संघने जिनमन्दिर का सभी काम संपूर्ण कराया और तपागच्छीय विजयजिनेन्द्रसूरीश्वर के शासन में पं० राजसत्क-५० मेघसागरगणि ने दो महीना वाद जिनालय की प्रतिष्ठा तथा ध्वजादंड जाली संपूर्ण कराई / शा० लवजी मकनजीने देरासर का काम अपनी देखरेख में पूर्ण कराया। किमाड और जाली शामजी नारायणने कराई / सुदामना वासुपूज्य प्रतिमा-- २४-सं० 1606 माधवदि 5 रविवार के दिन श्रीहेवाडावासी ओशवाल श्रीदेल्हा, ओशवाल आल्हण, सेठ वागदेवने स्व श्रेय के लिये श्रीवासुपूज्य का बिम्ब कराया।