Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh

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Page 207
________________ ( 194) वाराणसी नगरी अतिभारी, प्रतिष्ठ का राज्य सुखकारी / पृथ्वीमाता मनुहारी, तमन्ना हो गया हूँ मैं प्र०॥२॥ राजकोटे तुम्हें जोया, जनम के पापों को धोया / संघजन देखते मोद्या, तमन्ना हो गया हूँ मैं ॥प्र०॥३॥ आशपूरण कृपालु देव, करूँ शुद्धभक्ति से मैं सेव / पिलावो प्याला अमृत मेव, तमन्ना हो गया हूँ मैं |प्र०॥४॥ सुपारसनाथ जगस्वामी, पहुंचे मोक्षपुर धामी / करो प्रभु मुझ को भी नामी, तमन्ना हो गया हूँ मैं।प्र०॥५॥ हिन्दभूमि में मशहूरी, सूरिराजेन्द्र की पूरी / यतीन्द्र की वाणी सनूरी, तमन्ना हो गया हूँ मैं॥०॥६॥ ... मोरबीमंडन-श्रीपार्श्वजिन-स्तवनम् / देशी-ज्ञान कबु नहीं थाय, मूरखने. पार्श्वप्रभु विख्यात जगत में, पार्श्वप्रभु विख्यात / सहु जन मनमें भात जगत में, पार्श्वप्रभु विख्यात // 1 // घाम सुसागे मोरबी मंडन, सोरठदेश प्रख्यात ॥ज०॥२॥ वाराणसी नगरी के मांही, जन्म स्थान गवात ॥ज०॥३॥ पुष्पवृष्टि दिव्यध्वनि चामर, बींझत निशदिन तात।।ज०॥५॥ छत्राऽऽसन भामंडल भलके, दुंदुभि शब्द सुनात ज०॥६॥

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