Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
View full book text ________________ ( 183) क्षत्रियकुंडे गीत गवावता, चालो सखी हर्ष मनावता // हाँजी मुने० // 2 // इकवीस सहस्र वर्ष आण प्रमाणे, चालशे जनता हियडे आणेजयो जयो जयो प्रभुवीर वधावता, जगने प्रमोद पमावता // हाँजी मुने० // 3 // तपगच्छ मंडन सूरिश सारा, राजेन्द्र यतीन्द्र के प्राण आधाराखामी मेरी विनती चित्त में धारता, सेवकने रेजो संभालता ॥हाँजी मुने० // 4 // माऊं झुंझवामंडन-श्रीचन्द्रप्रभुजिन-स्तवनम् / देशी-चालो......जल्दी वीर कुंवर गाईये०, आवो...सब मिल, चन्द्रप्रभु को मेटिलें। आवो...सब मिल, भवजल दुःख मेटिलें ॥टेर // चन्द्रपुरी में महासेन राया, लक्ष्मणाराणी के लाडकवाया / अरे हाँ...मेरी कर्मजंजीर तोडिले // आवो० // 1 // माऊंझूझवा में देखे स्वामी, चन्द्रप्रभुजी का रंग बादामी / अरे हाँ...प्यारे नजरों से आई जोईलें // आवो०॥२॥
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