Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh

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Page 181
________________ ( 168) वाड सेठ साजण भार्या राल्हा का पुत्र पूनसिंह, उसकी भार्या पड़ा और लज्जालू के पुत्र पद्म की स्त्री मोहिनी के पुत्रोंने विजयसिंहमूरि के उपदेश से जिनयुगल बनवाये / ४-ब्रह्माणगच्छ के जिनालय में मडाहडीय पूनसिंह की स्त्री पदमल के पुत्र पद्मदेवने जिनयुगल बनवाये और उनकी प्रतिष्ठा सं० 1351 में विजयसिंहसूरीजीने की। ५-सं० 1446 वैशाखवदि 11 बुधवार के दिन ब्रह्माणगच्छीय भट्टारक श्रीसुव्रतसूरि, उनके शिष्य ईश्वरसूरि, तच्छिष्य विजयपुण्यमूरि, तच्छिष्य रत्नाकरसूरि, उनके पटधर श्रीहेमतिलकसूरिने पूनसिंह के आत्मकल्याण के लिये मंडप कराया। ६-सं० 1242 वैशाखसुदि 15 सोमवार के दिन श्रीमहावीर का बिम्ब और अजितनाथ की देहरी की यह पद्मशिला पूणिग के पुत्र ब्रह्मदत्त, जिनहाप, वन्ना, मना, सायब आदिने बनवाई, सूत्रधार पूनडने बनाई। ब्रह्माणस्वामी देवल के स्तंभ पर ७-सं० 1356 ज्येष्ठवदि 5 सोमवार के दिन ब्रह्माणमहास्थान पर महाराजकुल विक्रमसिंह के शासनकाल में पाटीदार राजा वीसड की स्त्री लखनदेवीने ब्रह्माणस्वामी के देवल का मंडप कराया।

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