Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (170 ) चूडा श्रीसुविधिनाथ मंदिर १२-चूडानगराधिपति महाराज रायसिंहजी के समय सं० 1916 शाके 1781 उत्तरायण सूर्य में पौषसुदि 7 बुधवार के दिन लघुशाखीय श्रीमाल यशवंतशाह पुत्र सोमजी, मानजी, माधो, खेमा, रणमल, राजा, वस्ता, झपूर, नाथा आदि परिवार से सुविधिनाथ का चैत्य बनवाया और उसकी प्रतिष्ठा कराई, कल्याणकारक हो / राणपुर सुमतिनाथजी १३-सं० 1879 फाल्गुनवदि 12 शनिवार के दिन ओशवाल नीनाकने श्रीसुमतिनाथ का विम्ब कराया और उसकी प्रतिष्ठा लछमनपुरी में वृहत्खरतरगच्छीय भट्टारक श्रीहर्षमरिने की, शुभकारक हो। उमराला अजितनाथ पब्बासन पर १४-संवत् 1867 शाके 1732 उत्तरायणसूर्य में वैशाखवदि 6 बुधवार के दिन श्रवणनक्षत्र, ब्रह्मयोग, सूर्योदय से इष्टघटी 4, वृषलग्न में भृगुलग्न नवांश में तृतीय मीनलग्न और गुरुदैवतीय कल्याणवती वेला में उमरालानगर के तपागच्छीय वीसा श्रीमाली जैनसंघने नवीन जिनालय में श्रीअजितनाथ का निम्ब स्थापन किया और णस्वारक विजयदेवेन्द्रसूरीश्वर के राज्य में पं० प्रेमसत्क