Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 166 ) श्राविकाओं के अत्याग्रह से सं० 1991 का चोमासा हमारा मुनि श्री अमृतविजयजी, विद्याविजयजी, सागरानन्दविजयजी, चतुरविजयजी और उत्तमविजयजी; इन पांच मुनिवरों के सहित सिद्धक्षेत्र-पालीताणा में ही हुआ / व्याख्यान में चारों महिना श्री उत्तराध्ययन सूत्र (अध्ययन 1012) सटीक और भावनाधिकार में 'चम्पकमाला चरित्र' वांचा / यहाँ तपस्या, पूजा, प्रभावनादि धर्मकार्यों के सिवाय शा० प्रतापचंद धूराजी बागरा ( मारवाड) वाले के तरफ से आसोजसुदि 15 से मगसिरसुदि 2 तक ( 47 दिनावधिक ) उपधानमहातपःक्रिया का आराधन अति उत्साह और उत्सव के साथ कराया गया। ॐ शान्तिः शान्तिः !! शान्तिः !!! श्रीसौधर्मबृहत्तपोगच्छमुखमंडन-सुविहितसूरिकुलतिलकसर्वतत्रस्वतत्र-जङ्गमयुगप्रधान-जैनशासनसम्राटपरमयोगिराज-प्रातःस्मरणीय-जगत्पूज्य-श्रीमद् विजयराजेन्द्रसूरीश्वरचरणारविन्दचतुरभृगायमाण-व्याख्यानवाचस्पत्युपाध्यायमुनिश्रीयतीन्द्रविजय-सङ्कलिते 'श्री यतीन्द्रविहारदिग्दर्शनो' नाम ऐतिहासिकग्रन्थे तृतीयो भागः समाप्तः।