Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (103) 35 से 70 माईल है / इसका क्षेत्रफल 7616 चोरस माईल का है, जिसमें 14 लाख 50 हजार एकर जमीन है। इस देश के मुख्य तीन विभाग हैं-१ वागड़ (वच्छदेश), 2 कंठी, और 3 अबड़ासो। इनमें भुज 1, मांडवी 2, अंजार 3, मुंद्रा 4, नलीया 5, जखौ 6, भचाऊ 7 और रापर 8 ये आठ मुख्य तालुके ( परगना) के शहर हैं, जिनके नीचे छोटे बड़े 940 गाँव हैं / इन गाँवों की समुचित घर-संख्या 117632 और उनमें 484547 मनुष्य वसते हैं। . कच्छबागड़ में कटारिया और भद्रेश्वर, तथा कच्छ अबडासो में सांधाण 1, सुथरी 2, नलिया 3, तेरा 4, जखौ 5, ये जैनपंचतीर्थी के मुख्य तीर्थ-धाम कहलाते हैं / इनमें श्रीभद्रेश्वर तीर्थ मुख्य,प्राचीनतम और सारे कच्छदेश में ' भद्रेश्वरवसइ' के नाम से प्रसिद्ध है / यहाँ प्रतिवर्ष फाल्गुनसुदि 5 का मेला भराता है, जिसमें कच्छदेश के बागड़, कंठी और अबडासो परगने के जैनयात्री अन्दाजन पांच छ हजार तक एकत्रित होते हैं और नवकारसी भी होती है। 1 रण की कांठी पर वसा हुआ भाग ' बागड़' दरियाइ कांठे पर बसा हुआ भाग ' कंठी' और दोनों के वीच में वसा हुआ भाग ' अबड़ासो' कहलाता है / तीनों विभाग में श्वेताम्बर जैनों की कुल आबादी 61375 स्त्री-पुरुषों की है।