Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (140 ) ही है, जो साधारण कहनेमात्र का मीठा है / यहाँ एक छोटा उपाश्रय, एक छोटी धर्मशाला और सामान्यस्थितिक जैनों के 8 घर हैं, जो विधुर हैं और कच्छ में जानेवाले जैन जैनेतर यात्रियों को ठगने और धर्मद्रव्य उडाने में बडे हुशीयार हैं। 37 कटारिया भुजरियासत के भचाऊ तालुके का यह छोटा गाँव है, जो किसी जमाने में अच्छा आबाद शहर था / पूर्वकाल में यहाँ जैनों के 1500 और कंसाराओं के 300 घर थे, जो इस समय लाकडिया, सीकारपुर, वांढिया आदि कच्छबागड के गाँवों में जा वसे हैं / यहाँ प्राचीनकाल में बडा विशाल बावन देवकुलिकावाला जिनालय भी था, जो इस समय लुप्त है / परन्तु इसका मूल शिखर जो जीर्णशीर्ण अवस्था में था, उसका सं० 1979 में जीर्णोद्धार हुआ है। तब से यह कच्छबागड में तीर्थधाम तरीके माना जाने लगा है। यहाँ माघसुदि 5 का मेला भराता है-जिसमें कच्छवागड, मालिया, मोरबी आदि गांवों के दो तीन हजार जैनयात्री एकत्रित होते हैं और हरसाल संगवी पानाचंद सुंदरजी मोरवीवाले की तरफ से मेला की नवकारसी होती है। इसके मूलनायक श्रीमहावीरस्वामी की श्वेतवर्ण दो