Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 163
________________ ( 150) जिनकी नोबत के शब्द से गूंजते थे आसमां, दम बखुद है'मकबरों में हुं न हां कुछ भी नहीं / जिनके महलों में हजारों रंग के फानूस थे, झाड उनकी कब्र पर हैं और निशां कुछ भी नहीं // 1 // ___ इस समय भद्रेश्वर एक छोटे गामडे के रूप में है और इस में भाटिया, पुष्करणा, ग्रासिया, आदि अजैन जाति के अंदाजन 200 घर हैं। गाँव में पोस्टऑफिस और अस्पताल भी है और गाँव की जनता में सभ्यता का बिलकुल अभाव है। तीर्थपति श्रीमहावीरस्वामी का विशाल मंदिर भद्रेश्वर से पाव माइल दूर पूर्व में है, जो सारे कच्छदेश में 'वसइ' के नाम से प्रसिद्ध है / यह जिनालय 450 फुट लम्बे और 300 फुट पहोले मैदान में स्थित है। इसकी ऊंचाई 38 फुद, लम्बाई 150 फुट और पहोलाई 80 फुट की है। इसके चारों तरफ चार बडे मंदिर और 48 देवकुलिकाएँ हैं, जो मजबूत सफेद प्रस्तर की बनी हुई हैं। मूलमंदिर के चार घूमट बडे, दो छोटे और इसका रंगमंडप विशाल है / इसके दोनों बाजु अगासियाँ और उनमें छोटे शिखर बने हुए हैं। इसमें कुल स्तंभे 218 नकशीदार लगे हुए हैं, जो दो मनुष्यों की वाथ में आ सके इतने जाडे और कोई कोई स्तंभ इससे भी जाडा है। इसका प्रवेशद्वार अतिशय सूक्ष्म नकशीवाला, मोहक,

Loading...

Page Navigation
1 ... 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222