Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
View full book text
________________ 50 पेथापर__ सीकारपुर से उत्तर तरफ रेतीली सात नदियों को पार करने पर वेणासर के रण की पश्चिम कांधी पर यह गाँव है, जो चित्रोल ठाकुर के अधिकार में है। यहाँ एक छोटा स्थानक और ओशवालजैनों के 30 घर हैं, जो स्थानकवासी होने पर भी मन्दिरमार्गी मुनिवरों की दिलोजान से भक्ति करने वाले हैं। यहाँ के सभी जैन स्वयं खेती करने पर जीवित हैं और इनके सिवाय जैनेतरों के 10 घर हैं, वो भी जैनों के समान ही अहिंसाधर्म के पालक हैं / इस गाँव से पूर्व-दक्षिण में 4 कोश की कांधी का मार्ग लांघने वाद पांच कोश का वेणासर का रण आता है / वेणासर के दक्षिण में दरिया और पश्चिम में रण है, जो जल से भरा जाने पर समुद्र के समान भयंकर दिखाई देता है। 51 जूनाघाटीला मोरबी संस्थान के जेतपुर-विभाग में ध्रांगध्रा की हद पर यह गाँव है, जो ग्याहरसो वर्ष पहले देवकाशाखा के चारणों का वसाया है और इसकी वर्तमान जनसंख्या 1853 के अंदाजन है। वेणासर से तीन माइल चोडा रण उल्लंघन किये वाद पांच माइल जाने पर यह गाँव आता है और इसके चोतरफ का जंगली-प्रदेश रण के समान