Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 160 ) के हैं। यहाँ एक उपाश्रय, एक धर्मशाला और एक जिनमदिर है, जिसमें श्रीपार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजमान है। 59 सायला ( भगत का गाँव ) पूर्वकाठियावाड एजंसी के झालावाड में यह इस संस्थान की राज्यधानी का मुख्य शहर है / इसके नीचे 42 गाँव है और सुबह विना खाये पीये लोग इस शहर का नाम लेना अमंगल समझते हैं, इस लिये लोगोंने इसका दूसरा नाम 'भगतनोगाम' ऐसा कायम किया है / इसकी आबादी 8000 मनुष्यों की हैं, जिनमें बहुत भाग परदेश में रहनेवाला है / इसके चोतरफ भग्नावशिष्ट कोट है और उसके बाहर बडा तालाव है, जो वर्षभर जलपूर्ण रहता है / सारा शहर तालाव का पानी पीता है और इसका जल कतिपय खेतों में भी पहुंचाया जाता है / सुदामना दरबाजा के पास एक शिखरबद्ध जिनालय है, जिसमें मूलनायक श्रीअजितनाथ आदि की जिन प्रतिमा विराजमान हैं। इसके पास ही एक कम्पाउन्ड में दो उपाश्रय और एक बडी धर्मशाला है। यहाँ वीसा श्रीमाली जैनों के 25, दशा श्रीमाली जैनों के 50 एवं 75 घर देरावासी और दशा श्रीमाली स्थानकवासी जैनों के 125 घर हैं, जिनमें परस्पर मेलजोल प्रशंसाजनक है / यहाँ से जोरावर नगर तक त्राम्बे रेल्वे-सायला ठाकुर के तरफ से नित्य जाती आती है।