Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
View full book text
________________ ( 143 ) उपाश्रय, एक धर्मशाला और एक गृहजिनालय है / जिनालय में मूलनायक श्रीसंभवनाथ आदि की तीनप्रतिमा स्थापित हैं, जो श्वेतवर्ण 3 फुद् बडी हैं / मूलनायक के आसन पर लिखा है कि 19-" श्रीसंभनाथविवं का विंधसंघेन, प्रतिष्ठितं आचार्यविजयसिंहमूरिभिः, तपागच्छे सं० 1682 वैशाखशुक्लपक्षे 3 तिथौ / 40 भचाऊ कच्छभुजरियासत में यह इस तालुके का सदर स्थान है और इसकी आबादी 3555 मनुष्यों की है, जिनमें 1739 पुरुष और 1816 स्त्रियाँ हैं। शहर जूने ढब का है और इसके चोतरफ मजबूत किलाकोट है, जो प्राचीन होने से कहीं कहीं पड गया है। पास ही में छोटी पहाडी के ऊपर जूना किला भी है, जो पतिताऽवशिष्ट है / यहाँ दिवानी फोजदारी महकमा, रेल्वेस्टेशन, पोस्ट और तार ऑफिस भी है / पहाडी की ढालू जमीन पर एक सुंदर छोटा शिखरबद्ध जिनमन्दिर है, जिसमें मूलनायक श्री अजितनाथ आदि की तीन प्रतिमा एक एक फुट बडी श्वेतवर्ण स्थापित हैं। मंदिर के पीछे भोजनालय, सामने और बगल में दो उपाश्रय हैं। यहाँ वीसा श्रीमाली जैनों के 40 और वीसा ओशवालों के 400 घर हैं। श्रीमालीजैन सभी मन्दिरमार्गी और ओशवालों में 50 घर मंदिरमार्गी,