Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 127 ) यहाँ दशा श्रीमाली जैनों के 8 घर, जो विवेक शून्य हैं / यहाँ की अजैनप्रजा भी जैन साधु साध्वियों की द्वेषी है। 22 गोंडल यह इस संस्थान की राज्यधानी का मुख्य शहर है, जो डम्बर की पक्की सडकों, कैलासबाग और सर्वत्र ईलेक्ट्री की रोशनी से देखनेवालों को बड़ा अच्छा लगता है / शहर का क्षेत्रफल 1818 एकरभूमि और आबादी 24573 मनुष्यों की है / गोंडलीनदी के दहिने कांठे ( तट ) पर यह वसा हुआ है और इसके चारो तरफ मजबूत कोट बना हुआ है, जिसमें 6 दरवाजे और दो बारियाँ हैं। रेल्वेस्टेशन, पोस्ट ऑफिस, तार, टेलीफोन, और कई कारखाने भी हैं। शहर में वीसा श्रीमाली मूर्तिपूजक जैनों के 75 और स्थानकवासी जैनों के 400 घर हैं, जो सभी दशा श्रीमाली हैं। स्थानकवासियों में जो गोंडलसंप्रदाय है, वो इसी गाव में प्रगट हुआ है। शहर में तपागच्छ के दो उपाश्रय और उनके वीच में एक शिखरबद्ध जिनमन्दिर है / इसके मंडप की भींतपर शिलालेख लगा है कि___“१६-स्वस्तिश्री संवत् 1864 वर्षे, शाके 1729 प्रवर्त्तमाने, मासोत्तममासे वैशाख मासे, कृष्णपक्षे षष्ठीतिथौ, सोमवासरे, श्रीमत्तपागच्छे श्रीविजयजिनेन्द्रसूरिउपदेशात् श्रीकुंभाजीनगरमध्ये राजा किसनाजी राज्ये, अणहिल्लपुर