Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 135 ) वाग तक मच्छुनदी का 650 फुट लम्बा झोलापुल है, जिसके नीचे कुछभी आधार नहीं है। यह पुल देखनेवालों को चकित करता है और इसको देखने की इच्छावालों को आठ आना फिस देकर पास कटाना पड़ता है। इसके दोनों नाके पर सरकारी पहरा लगा हुआ है, जो बिना पास देखे पुल पर किसीको नहीं जाने देते / दूसरा मच्छुनदी का पुल पत्थर का जो 800 फुट लम्बा है / इसके एक नाके पर लोर्डरे का खडे आकार का और दूसरे नाके पर सर वाघजी बहादुर का घोडे सवारवाला वावला ( हुवो हुव प्रतिकृति-मूर्ति ) है। पत्थर के पुल ऊपर से गाडी, तांगे, मोटरें और दाम्बें जाती आती हैं। यहाँ के दरबार सरवाघजी बहादुरने अपनी राणी मणी की यादगार में एक देखने लायक'मणिमन्दिर' बनवाया है, जो भूमितल से 160 फुट ऊंचा, और पूर्व-पश्चिम 325 फुद् तथा उत्तर-दक्षिण 200 फुट लम्बी चौड़ी विशाल भूमि पर स्थित है / इसका अन्दर और बाहर का भाग, इसके जुदे जुदे कोरणीवाले सुंदर झरोखे, सिल्पकारीवाली मेडियों की ओसारियाँ, हरएक कमरे की बांधणी और मध्य शिखरबद्ध मन्दिर की सजावट देखनेवालों को आश्चर्य पैदा करती है / इसके बनवाने में 40 लाख रुपया तो खर्च हो चुका है और हाल में काम चालु है / शहर में सर्वत्र पक्की सडकें, इलेक्ट्री की रोशनियाँ