Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ लेकिन इसमें जैसी शान्ति पूर्वक यात्रा हुई, वैसी बडे संघों में भी होना असंभव है। इस लघुसंघ का बाह्य देखाव साधारण होने पर भी इसके कार्य बडे संघ के समान ही हुए हैं / अस्तु. संघ के रास्ते में भद्रेश्वरतीर्थ और भद्रेश्वर से पालीताणा तक जितने छोटे बड़े गाँव आये उनमें स्थानीय संघों के तरफ से संघ को स्थान स्थान पर अच्छा सन्मान मिला था / वस, पालीताणा से श्रीसिद्धाचल-तीर्थाधिराज की यात्रा-पूजा करके संघपति और संघ के श्रावक श्राविका सानन्द अपने अपने वतन को चले गये / संघ के जाने आने के मार्ग में जो गाँव आये, उनके नाम, कोशों का अन्तर, उनमें जैनवस्ती और जिनालय, आदि की दर्शक तालिका नीचे मुताबिक समझना चाहिये / सिद्धक्षेत्र-पालीताणा से भद्रेश्वर तक के गाँव गाँवों के नाम. .| कोश. | जैनघर देरासर. | उपासरा. धर्मशाला. मुकाम संवत् 1990 मगसिर सुदि 11 0 . . . m 0 0 1/ घेटी 2 लीलीवाव मानगढ गारियाधार 5 वाव 6 सनोलिया लीलिया ... * * . . 0 0 0 0 0 0 . 0 0 0 0 0 0