Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (74) दान देते हैं / यहाँ कदम्बनिर्वाण की जगह पर एक देवकुलिका में आदिनाथ और कदम्बगणधर के चरण युगल (पगल्या) विराजमान हैं। इसके पास ही 'कमला देवी' का स्थान है, जो बोदानोनेस के गिरासिया कामलिया लोगोंने अन्दाजन 70 वर्ष पहले बनाया है। यह कामलियाओं की कुलदेवी है, इससे वे इस स्थान पर फाल्गुन सुदि 14 के दिन कमला की होली का त्योहार मनाते और मानता ( जुहार) करते हैं। गाँव से कुछ दक्षिण में आणंदजी कल्याणजी की धर्मशाला के निकटवर्ती श्री महावीरस्वामी का विशाल सौधशिखरी मन्दिर है, जो 52 जिनालय और तपागच्छीय नेमिसूरिजी के उपदेश से नया बनाया गया है। इसमें मूलनायक श्री महावीरप्रभु की अतिसुन्दर प्रतिमा, अतीत-अनागत-वर्तमान-कालीन चोवीशी जिन की प्रतिमा, विहरमान वीश जिनेश्वरों की प्रतिमा, और वीरप्रभु के ग्यारह गणधरों की प्रतिमा विराजमान हैं, जो सभी अर्वाचीन हैं / इस जिनालय की प्रतिष्ठा और इसमें स्थापित प्रतिमाओं की अञ्जनशलाका विक्रम संवत् 1989 फाल्गुन सुदि 3 के दिन आचार्य नेमिसूरिजीने की है। इसका मुहूर्त्त बराबर न होने और विधि विधान की बेपरवाही होने से प्रतिष्ठाञ्जनशलाकोत्सव में बहुत उपद्रव