Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 75 ) हुआ था / अर्थात् उत्सव के प्रथम दिन मन्दिर के कोट की दीवाल पड गई 1, दूसरे दिन मंजूरों के झोंपड़ों में आग लगी जिससे एक छोकरी के प्राणपखेरु उड़ गये 2, तीसरे दिन अखंड ज्योत बुझ गई और मंगलकलश फूट गया 3, चौथे दिन कुंभस्थापनावाला कलश फूट गया 4, पांचवे दिन वायुगोटा के आने से तंबु उड गये और तंबु के स्तंभ की प्रचंड चोट लगने से एक स्त्री मर गई 5, छडे दिन जोर की वर्षा पडने से दर्शकों को महान् कष्ट भुगतना पडा 6, सातवें दिन भोजनयोग्य रजक खुटजाने से दर्शकयात्रियों को भूखा रहना पडा 7, आठवें दिन दर्शकयात्रियों में चोरों की भीति उत्पन्न हुई 8, नवमें दिन बीमारी चालु होने का हल्ला हुआ 9 और दशवें दिन मूलनायक श्री महावीरप्रभु की मूर्ति को तख्तनशीन करते ही दर्शकयात्रियों में दस्त और वमन की बीमारी शुरू हो गई जिससे सब यात्री बोदानानेस से बमुश्किल अपने अपने घर पहूंचे / घर जाने पर भी. पंदरा रोज तक यात्रियों को दस्त और वमन की बीमारी से पीडित होना पड़ा 10 / बोदानानेस गाँव से दो माईल के फासले पर 'चोक' गाँव आता है, जो सेतलगंगानदी के दक्षिण तट पर वसा है। इसमें श्रीमालजैनों के 10 घर, यात्रियों के ठहरने को एक धर्मशाला और एक गृहजिनालय है, जिसमें श्रीआदि