Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 40 ) 29 लींबडी काठियावाड-गुजरात में यह लींबडी संस्थान का मुख्य शहर है, जो भोगावा नदी के उत्तर तट पर वसा है / यहाँ के दरबार प्रथम सीयाणी में रहते थे, परन्तु दरवार हरभमजी द्वितीयने अपनी राज्यधानी का मुख्य स्थान इसीको कायम किया, तब से अब तक राज्यधानी यही कायम है / इसका बाजार चौडा और अंग्रेजी फेसन की एक साइड की दुकान श्रेणियों से शोभित है / शहर में सर्वत्र पक्की सडकें और उन पर विजली की रोशनियाँ लगी हुई हैं। यहाँ मूर्तिपूजक तपागच्छीय जैनों के 400 और लोंकागच्छ के 400 घर हैं, जो वीशाश्रीमाली और दशाश्रीमाली विभाग में विभक्त हैं। ___यहाँ सौधशिखरी दो जिनालय हैं, सब से बडा जो मोटा मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है, वो प्राचीन है / इसमें श्वेत वर्ण 1 // हाथ बडी श्रीशान्तिनाथप्रभु की मूर्ति मूलनायक है और इसमें कुल पाषाणमय प्रतिमा 43, धातुमय 3 और धातु के गट्टाजी 23 हैं / इस जिनालय की बनावट आगे के भाग में राजमहल के समान और अति मनोमोहक है। दूसरा जिनालय त्रिशिखरी है, जो विशाल, दर्शनीय और मोटा बाजार में स्थित है। इसको यहाँ के जैन