Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
View full book text
________________ ( 39 ) છે અહત નમ:, આ ઉપાસરાનું મકાન શ્રીમાનગઢના રહીશ સંઘવી ફૂલચંદ કમલસી તરફથી શ્રીતપાગ૭ના ચતુર્વિધ શ્રીસંઘને ધર્મકરણ કરવા સારૂં રૂા. 2001) ખચી બંધાવી લખતર તપાગચ્છને શ્રીસંઘને અર્પણ કર્યું છે. સંવત્ 1965 ના ફાગણ વદિ 1 સોમવાર. શ્રીસંઘને દાસ નેણસી ફૂલચંદ. 28 सीयाणी लींबडीस्टेट की प्राचीन राज्यधानी का यह सदर स्थान है / इसकी कुल आबादी 2000 मनुष्यों की है और इसके चारो तरफ का जंगली प्रदेश वृक्षशून्य तथा खारीवाला है / साठ वर्ष पहले यहाँ जैनों के बहुत घर आबाद थे / इस समय इसमें मूर्तिपूजक जैनों के 15 और स्थानक वासियों के 15 घर हैं, जोसामान्य स्थितिवाले हैं / यहाँ एक अच्छा शिखरबद्ध जिनालय है, जो राजा संप्रति का बनवाया माना जाता है / इसमें मूलनायक श्रीशान्तिनाथजी की 1 हाथ बडी वादामी रंग की प्रतिमा और उनके दोनों बगल में सवा दो हाथ बडी अभिनन्दन और आदिनाथ की प्रतिमा विराजमान हैं। इसके वामभाग में चोमुख देवालय है, जिसमें आधे हाथ बडी शान्तिनाथ, पार्श्वनाथ, आदिनाथ और महावीर ये चार प्रतिमा विराजसान हैं, जो सं०१५२५ भाद्रवावदि 6 प्रतिष्ठित हैं। इसके पास ही उपाश्रय, धर्मशाला और भोजनशाला एक ही कंपाउन्ड में है।