Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 50 ) આત્મકલ્યાણાર્થે કરાવી તેમાં ધાર્મિક ક્રિયા કરવા માટે શ્રી સંઘને અર્પણ કર્યો છે. રૂા. 1501) આપ્યા સં. 1976 माश्विन. 39 सणोसरा भावनगर रियासत का यह छोटा गाँव है, परन्तु कतिपय बंगलों और स्कूल के मकानों के कारण एक छोटे शहर जैसा दिखाई देता है। बाजार में पक्की सडक और लाइन बद्ध दुकानें बनी हुई हैं। इसमें श्रीमालजैनों के 10 घर हैं, जो धर्मप्रेम से रहित और जैनेतरों से भीगये गुजरे हैं / वस, गिरिराज की छांया पडने के कारण यहीं से तीर्थमुंडिये महाजनों का आरंभ होता है। यहाँ शिखरबद्ध एक जिनालय है, जिसमें मूलनायक श्रीऋषभदेव और उनके दोनों तरफ श्रेयांसनाथ तथा महावीरस्वामी की सवा सवा हाथ बडी बादामीरंग की प्रतिमा विराजमान है / इनमें ऋषभदेव मूर्ति संवत् 1473 की और दोनों तरफ की मूर्तियाँ सं० 1921 की प्रतिष्ठित हैं। इस जिनालय में इस प्रकार शिलालेख है 15 "विक्रम सं० 1972 माघसुदि 11 चन्द्रवारे सणोसराग्रामे भावनगरीय वीसा ओशवाल परि० धोल पुरुषोत्तमद्रव्यात्त्रष्टिद्वये श्रीआदीश्वरजिनबिंबं स्थापितं श्रीमत्तपागच्छे गणिश्री