Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 52 ) 42 पालीताणा काठीयावाड ( गोहिलवाड ) के भावनगर संस्थान के मध्यभाग में एक महाल के समान यह संस्थान है। इसका विस्तार 290 चोरस माइल और इसके अधिकार में 99 गाँव हैं, जो पालीताणा, गारीयाधार, मानविलास और ठाडच मोखडका; इन चार परगनों में विभक्त है / इस संस्थान की कुल जनसंख्या 58000 के अन्दाजन हैं / इस संस्थान की राज्यधानी का पालीताणा मुख्य शहर है, जो गिरिराज ( शत्रुजय ) से सवा माइल दूर उत्तर में आबाद है और खारोनदी के पश्चिम तट पर वसा हुआ है / इसका प्राचीन नाम 'पादलिप्तपुर' है और वीर सं० 367 में नागार्जुनयोगीने अपने गुरु जैनाचार्य श्रीपादलिप्तसूरिजी के नाम से इसको हवामहेल के पास हाथीआधार नामक स्थान पर वसाया था। उसके ध्वंस होने वाद धमधमिया में अटकेश्वर महादेव के पास यह दूसरी वार वसा और उसके भी नाश हो जाने पर तीसरी वार वर्तमान पालीताणा वसा है / यहाँ के वर्तमान दरबार ( ठाकुर ) बहादुरसिंहजी के. सी. आई. ई. गोहिलराजपूत हैं / इनके पूर्वजों में से सेजकजी गोहिल के तृतीय कुंवर शाहाजीने मारवाड से आकर प्रथम मांडवी गाँव में और वाद गारीयाधार में अपना राज्य कायम किया / शाहाजी के वंशज पृथ्वीराज गोहिलने बादशाही थाणादार को