Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (51) मुक्तिविजयजी तच्छिष्यमुनिवर्य-मोतीविजयेन प्रतिष्ठितं श्रीरस्तु।” __एक दो मंजिला उपाश्रय और उसके पिछले भाग में छोटी धर्मशाला है / उपाश्रय में ऊपर नीचे एक ही मतलब के दो शिलालेख लगे हैं, जो इस प्रकार हैं આ ઉપાશ્રય શ્રીઅમદાવાદવાલા સંઘવી મેહલાલભાઈ ગોકલદાસ ઝબેરીએ બંધરાવી શ્રીજૈનવેતાંબરમૂર્તિપૂજક સંઘને અર્પણ કર્યો છે. સં. 1984 ભાદ્રપદ, સોંસરા. 40 नवागाम भावनगरताबे का यह छोटा गाँव है / इसमें श्रीमा- . लीजैनों के 8 घर हैं, जो सामान्य स्थिति के होने पर भी अच्छे भावुक हैं / यहाँ एक उपाश्रय और उसीके पास जूने फेसन की बडी धर्मशाला है, जो सं० 1916 में बनी है। 41 जमणवाव राजा नवघणजी द्वितीय के दंडपति जाम्बभट का वसाया हुआ यह छोटा गाँव है, इसका असली नाम 'जाम्बवाव' है, जो बिगड़ कर वर्तमान नाम हो गया है / इसमें एक उपाश्रय और उसीके उपरि होल में धातुमय छोटी छोटी तीन जिनप्रतिमा हैं / गाँव में जैनों के 7 घर हैं, जो गिरिराज के समीपवर्ती होने से तीर्थमुंडिये हैं।