Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ __ ( 45 ) लीज्ञातीय लघुशाखयां साहश्री 5 श्रीयशवंतशाह तत्पुत्र शा० सोमजी, तथा शा० मानजी, तथा सा० माधो, तथा सा० खेमा, तथा सा० रणमल, तथा सा० राजा, सा० वस्ता, सा० झपूर, सा० नाथा-समस्तपरिवारसहितः श्रीसुविधिनाथजी चैत्यकारितं प्रतिष्ठितं च, श्रेयस्तात् भवतु कल्याणमस्तु / " 32 राणपुर धंधुका एजन्सी में गोमानदी के तट पर यह गाँव वसा है, जो 6000 मनुष्यों की आबादीवाला है / इसमें तपागच्छ के 75 और स्थानकवासियों के 75 घर हैं। दोनों के उपाश्रय, स्थानक, जैनपाठशाला और कन्याशाला कायम हैं / मध्यबाजार में अतिसुरम्य सौधशिखरी जिनमन्दिर है, जिसमें मूलनायक श्रीसुमतिनाथजी की दो फुट बडी श्वेतवर्ण भव्य प्रतिमा विराजमान है। इसकी पालगटी के आसन पर लिखा है कि 13-" सं० 1879 फागणवदि 12 तिथौ शनिवासरे ओशवंशीयनीनाकेन श्रीसुमतिजिनबिंब कारितं, प्रतिष्ठितं बृहत्खरतरगच्छीय भट्टारक श्रीहर्षसूरिभिः लछमनपुर्या, शुभं भवतु।” मूलनायक के दोनों तरफ पार्श्वनाथजी और सुपा