Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 47 ) नहीं जैसे हैं / यहाँ साधु-साध्वियों को ठहरने योग्य उपाश्रय का साधन नहीं है, जैनेतर स्थानों में ठहरना पडता है, परन्तु यहाँ के जैनेतर जैन साधु-साध्वियों के द्वेषी हैं, इससे ठहरनेयोग्य स्थान मुस्किल से मिलता है। 35 लाठीदड भावनगर तालुके का यह छोटा, पर अच्छा गाँव है, इसमें श्रीमालीजनों के पच्चीस घर, एक उपाश्रय और छोटे शिखरवाला एक जिनालय है, जिसमें सवाफुद् वडी श्वेतवर्ण श्रीचन्द्रप्रभस्वामी की सुन्दर प्रतिमा स्थापित है। यहाँ स्टेट के तरफ से स्कूल भी है, जिसमें जैन अजैन बालकों को गुजराती शिक्षा दी जाती है / 36 सांगाबदर-- यह इसके नाम के मुताबिक ही गुणवाला छोटा गाँव है, जो भावनगरस्टेट का है / स्टेट के तरफ से यहाँ स्कूल है, जिसमें जैन जैनेतर बालकों को व्यावहारिक शिक्षण मिलता है। श्रीमालजैनों के इसमें 6 घर हैं, जो सामान्यस्थितिवाले और विवेक रहित हैं। 37 सांढा-रतनपर-- इसमें श्रीमालजैन के 4 घर हैं, जो अच्छे भावुक हैं, परन्तु यहाँ जिनमन्दिर न होने से साधु साध्वी अपने