Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 38 ) खारा जल यहाँ के बासिन्दों के लिये हितकर है, लेकिन आगन्तुक मुसाफिरों के लिये तो पखाल लगानेवाला है। 27 लखतर___ यह थाना-लखतर स्टेट का अच्छा शहर है / इसके चारों तरफ मजबूत कोट बना हुआ है, जिसमें चार बडे दरवाजे हैं। शहर में सर्वत्र पक्की सडकें हैं और पूर्व दरबाजे के पास एक बडा तालाव है, जो बारहो मास जल से परिपूर्ण भरा रहता है / तालाव के तट पर पातालनल (मोरिंगा) लगा हुआ है, जिसके कारण तालाव का जल खूटता नहीं है / यहाँ के तालुकदार झाला राजपूत हैं, जो गिरासिया कहलाते हैं / इस तालुक के अधिकार में थाना के 24 और लखतर के 48 गाँव हैं / शहर से लखतररेल्वे स्टेशन 1 माइल पश्चिम में है और यहाँ पोस्टतार ऑफिस, तथा स्कूल भी है। शहर में मन्दिरमार्गी तपागच्छीय श्रीमालजैनों के 30 और स्थानकवासी लोंकागच्छ के 80 घर हैं / बीच बाजार में सौधशिखरी जिनालय है, जो सं० 1935 में बनाया गया है / इसमें मूलनायक श्रीऋषभदेवजी की वादामी वर्ण की सवा दो हाथ बडी प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा जिनालय का पाया खोदते समय सं० 1932 में निकली थी। मन्दिर के सामने एक छोटी धर्मशाला है, जिसकी भींत पर एक शिलालेख लगा है कि