Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 42 ) देखी नहीं गई / इस मंडार का सूचीपत्र भी अकारानुक्रम से ऐतिहासिक हकीगत सहित प्रवर्तक श्रीकान्तिविजयजी के शिष्य पंन्यास चतुरविजयजीने तैयार किया है, जो शाह जीवणचंद शाकरचंद जबेरी मानदमंत्री-आगमोदयसमिति के तरफ से लींबडीजैनज्ञानभंडारनी हस्तलिखितप्रतिओनुं सूचीपत्र ' इस नाम से छप कर प्रसिद्ध हो चुका है / इसमें सुरक्षित ग्रन्थप्रतियों के लिये कपाट, डब्बे, पाटली और वेस्टन आदि के खर्च निमित्त रु. 2501) वढवाणकेम्पनिवासी-वीशाश्रीमालीज्ञातीय सेठ मगनलाल वाघजीने अर्पण किये हैं। ज्ञानमन्दिर का लेख શાહ હરખ ઝબેરચંદ તરફથી તેના પત્ની દીવાલીબાઈ ના સ્મરણાર્થે આ જ્ઞાનમંદિરના મકાન માટે રૂા. 5101) આપવામાં આવ્યા છે. સંવત્ 1979 शहर में पायचंदगच्छ, अंचलगच्छ, भट्टारकगच्छ, खरतरगच्छ और तपागच्छ के जुदे जुदे उपाश्रय विद्यमान हैं, लेकिन इस समय सभी जैन तपागच्छ के ही कहलाते हैं और तपागच्छ की ही प्रतिक्रमणादि क्रिया करते हैं, अतः इतर गच्छों का अब यहाँ नामशेष ही रह गया है / तपागच्छवालों का दो मंजिला विशाल उपाश्रय है और एक दो मंजिली धर्मशाला है। धर्मशाला के ऊपर के मंजिल में साधुओं के ठहरने, चोमासा करने और व्याख्यान वांचने योग्य जुदे जुदे विशाल होल