Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 41 ) शान्तिनाथ का मन्दिर कहते हैं, परन्तु यह वास्तव में बाहुस्वामी (विहरमानजिन) का मन्दिर है। इसमें सब मिला कर पाषाणमय 38, धातुमय 11 और धातुके गट्टाजी 15 एवं 64 प्रतिमा हैं। इसमें मूलनायक श्री बाहुस्वामी की वादामी रंग की 1 हाथ बडी प्रतिमा स्थापित है। जिसका लेख- . __"संवत् 1893 माघसित 10 बुधे मुंबई वास्तव्य ओशवालज्ञातीय-वृद्धशाखायां नाहटा गोत्रे सेठ शा० करमचंद, तत्पुत्र से० अमीचंदेन श्रीबाहुजिनबिंब कारितं, खरतरपिप्पलियागच्छे जं० यु० भ० श्रीजिनचन्द्रसूरिविराजमाने प्रतिष्टितं च ज० यु० भ० श्रीजिनभद्रसूरिभिः खरतरगच्छे श्रीपालीताणानगरे” इस जिनालय के ऊपर के होल में दर्शनीय एक ज्ञानभंडार है, जिसमें ताडपत्र पर लिखी हुई 6 और कागदों पर लिखी 3238 प्रतियाँ सुरक्षित हैं / इनके अलावा 550 मुद्रित ( छपे हुए ) ग्रन्थ भी संग्रहित हैं / प्रत्येक प्रति मजबूत वेस्टनों से दोनों तरफ पाटलियाँ लगा कर बांधी हुई हैं और लक्कड के बने फेंसी रंगीन डब्बों में बडी सुन्दरता के साथ नम्बर वार सुरक्षित हैं। इस प्रकार की ग्रन्थ गोठवणी अभी तक किसी ज्ञानभंडार की